कार्यालयीन लिखित पत्र-व्यवहार के प्रकार :
किसी विभाग द्वारा भारत सरकार और संगठनों जो उन
संगठनों से भिन्न हैं जो भारत सरकार का हिस्सा नहीं हैं, के बीच पत्राचार और कुछ विशेष प्रयोजनों से पत्राचार के लिए सामान्य तौर
पर लिखित सम्प्रेषण के विभिन्न प्रकार प्रयुक्त किए जाते हैं, जो नीचे वर्णित हैं। इन प्रकारों के आरूप परिशिष्ट 8.1 में दिए गए हैं :
1. पत्र : पत्र का यह प्रकार राज्य सरकारों,
संघ लोक सेवा आयोग तथा अन्य संवैधानिक निकायों,संबद्ध व अधीनस्थ कार्यालयों के प्रमुखों, लोक
उद्यमों, सांविधिक प्राधिकरणों, सार्वजनिक
निकायों तथा आम जनता के साथ पत्राचार के लिए प्रयुक्त किया जाता है ।
सम्प्रेषण का औपचारिक प्रकार होने के नाते एक
पत्र विभाग अथवा सरकार की ओर से सरकार/संगठन के प्रमुख को पदनाम से संबोधित किया
जाता है,
पत्र का आरंभ अभिवादन "महोदय/महोदया", तथा समापन "भवदीय" से किया जाता है ।
2. अर्ध-सरकारी पत्र :
पत्र के इस प्रकार का प्रयोग आमतौर पर किसी
सरकारी अधिकारी द्वारा अन्य अधिकारी को किसी महत्वपूर्ण सरकारी मामले और/या
तात्कालिकता में उनका व्यक्तिगत ध्यान दिलाने के प्रयोजन से किया जाता है |
क. चूंकि, अर्ध सरकारी
पत्र उत्तम पुरुष में निजी और मैत्रीभाव से लिखा जाता है, इसलिए
इसे यथासंभव एक अधिकारी द्वारा समान स्तर/रैंक के अधिकारी को लिखा जाना चाहिए।
प्राप्तकर्ता पक्ष की ओर समान स्तर के अधिकारी के अनुपलब्धता की स्थिति में इसे उस
अधिकारी के एक या दो स्तर नीचे के अधिकारी को, जिसे संबोधित
किया गया है, को लिखा जा सकता है | ख. अर्ध-सरकारी
पत्र संवैधानिक प्राधिकारणों के प्रमुखों को छोड़कर अन्य सार्वजनिक कार्यालयों के
अधिकारियों को लिखा जा सकता है । ऐसे मामलों में ऐसे प्राधिकारणों के सचिव को पत्र
भेजे जा सकते हैं | एक मंत्री अध-सरकारी पत्र केन्द्र व
राज्य सरकार के अन्य मंत्री अथवा संसद सदस्य या राज्य विधानसभा को भेज सकता है ।
ग. गैर-सरकारी पत्र अर्ध-सरकारी पत्र के रूप में
भी भेजे जा सकते हैं।
3. कार्यालय ज्ञापन : इस पत्राचार के प्रकार
का प्रयोग आमतौर पर अपने संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों सहित अन्य विभागों को
निर्णयों के बारे में सूचित करने के लिए जाता है । इसका प्रयोग सूचना मांगने अथवा
सूचना देने के लिए किया जाता है । कार्यालय ज्ञापन प्रकार का प्रयोग मंत्रालयों और
विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों के साथ संप्रेषण के लिए किया जाता है। यह अन्य
पुरुष में लिखा जाता है तथा इसमें कोई संबोधन अथवा अधोलिखित नहीं होता। तथापि,इसमें हस्ताक्षरकर्ता अधिकारी के नाम, पदनाम,
ई-मेल आईडी, टेलीफोन नम्बर और फैक्स नम्बर का
उल्लेख किया जाएगा । इस पत्राचार के प्रकार का उपयोग मंत्रालय के भीतर अनुभागों के
मध्य सूचना मांगने और सूचना प्रदान करने के लिए भी किया जाना है ।
4. कार्यालय आदेश : इसका प्रयोग नेमी आंतरिक
प्रशासनिक मामलों जैसे कि नियमित छुट्टी प्रदान करने, अधिकारियों
और अनुभागों के मध्य कार्य वितरण, आंतरिक तैनाती और
स्थानातंरण आदि अनुदेश जारी करने/सूचना देने के लिए किया जाता है । इसीलिए इसमें
कोई संबोधन अथवा अधोलिखित नहीं होता है । सभी संबंधित व्यक्तियों/प्राधिकारी को
प्रतियां पृष्ठांकित की जाती हैं ।
5. आदेश : इसका प्रयोग सामान्यत: निम्नलिखित सूचित
करने के लिए किया जाता है -
(i) वित्तीय मंजूरियां; और
(ii) अनुशासनिक मामलों में अंतिम आदेश |
आदेश किसी को संबोधित नहीं किया जाता
है । सभी व्यक्तियों/संबंधित प्राधिकारी को
प्रतियां पृष्ठांकित किए जाते हैं ।
6. अधिसूचना - अधिसूचना का प्रयोग अधिकांशत:
सांविधिक नियमों और आदेशों की घोषणा
करने, कतिपय
श्रेणियों के अधिकारियों की नियुक्तियों और पदोन्नतियों को भारत के राजपत्र में प्रकाशित
करके अधिसूचित करने के लिए किया जाता है। राजपत्र की संरचना, उसके प्रत्येक भाग और खण्ड में प्रकाशित की जाने वाली सामग्री की किस्में,
राजपत्र में प्रकाशन के लिए सामग्री भेजने से संबंधित अनुदेश
परिशिष्ट 8.2 में दिए गए हैं ।
7. संकल्प - पत्राचार के प्रकार का प्रयोग
औद्योगिक क्षेत्र में लाइसेंस नीति, जांच समितियों
अथवा आयोग की स्थापना जैसे नीति के महत्वपूर्ण
मामलों पर सरकार के निर्णय की सार्वजनिक घोषणा करने के लिए संकल्पों का प्रयोग
किया जाता है | संकल्प भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए
जाते हैं ।
8. प्रेस विज्ञप्ति/प्रेस नोट : इसका प्रयोग
तब किया जाता है जब सरकार के निर्णय का मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करने का
प्रस्ताव हो । प्रेस विज्ञप्ति तब जारी की जाती है जब सामग्री को जारीकर्ता
प्राधिकारी द्वारा दिए गए पाठ के अनुसार प्रकाशित किया जाना होता है जबकि दूसरी ओर
प्रेस नोट समाचार-पत्रों में छपने की सामग्री के रूप होता है जिसे संबंधित
समाचार-पत्र या मीडिया चैनल द्वारा संपादित, संक्षिप्त या
विस्तारित किया जा सकता है ।
9. पृष्ठांकन - इसका प्रयोग तब किया जाता है
जब कोई कागज अपने मूल रूप में भेजने वाले को लौटाना हो अथवा मूल कागज अथवा उसकी
प्रति, सूचनार्थ अथवा कार्रवाई के लिए अन्य विभाग अथवा
कार्यालय को भेजनी होती है । इसका प्रयोग उस स्थिति में भी किया जाता है जबकि
पत्रादि पाने वाले के अलावा उसकी प्रति अन्य पार्टियों को भेजी जानी होती है।
राज्य सरकारों, सांविधिक/ संवैधानिक निकायों को प्रतियां
भेजते समय इस प्रकार के पृष्ठांकन का प्रयोग सामान्यत: नहीं किया जाना चाहिए। इसके
लिए पत्र लिखना ही उचित होगा ।
Forms of official written communications:
For correspondence between
Government of India and organizations other than those which are not part of
the Government of India and for communication for certain specific
purposes, different forms of written communication generally used by a
Department are described below. Formats of these forms are given in
Appendix – 8.1.
1. Letter: This form is
used for corresponding with State Governments, the Union Public Service
Commission and other constitutional bodies, heads of attached and
subordinate offices, public enterprises, statutory authorities, public bodies
and members of public.
A letter being a formal form of communication is addressed on
behalf of a Department or Government to the Head of the Government/
organisation by designation, beginning with the salutation “Sir / Madam”;
and ending with subscription “Yours faithfully.”
2. Demi-official letter: This
form is generally used in correspondence by one Government officer with
another with the purpose of drawing his/her personal attention in an
official matter of importance and/or urgency.
a. Since demi-official letter is
written in the first person in a personal and friendly tone, it should be
addressed by an officer to another of similar level /rank as far as
possible. In the event of non-availability of officer of same level at
receiving end, the same may be addressed to an officer at one or two
levels below the officer to whom such communication is addressed.
b. Demi-official letter may be
used for communicating with officers in other public offices except chief
of the Constitutional authorities. In such cases, communications are
addressed to the Secretary of such authorities. A Minister may
communicate with another Minister at Centre or State Government or a
Member of Parliament or State Legislature using D.O. letter.
c. Communications to non-officials may also take the form of a
demi-official letter.
3. Office Memorandum: This
form is generally used for communicating decisions to other departments
including its attached and subordinate offices. It is used for calling
for or providing information. Office Memorandum form is also used by
Ministries and Departments for communicating to its employees. It is written in
the third person and bears no salutation or subscription. The name,
designation, e-mail ID, telephone number and fax number of the officer
signing it will, however, be indicated. This form is also to be used for
seeking and providing information amongst sections within Ministry.
4. Office Order: It is used
for issuing instructions/ intimation in routine internal administrative
matters, e.g., grant of regular leave, distribution of work among
officers and sections, internal posting and transfers, etc. Therefore,
there is, no salutation or subscription. Copies are endorsed to all the
persons/authority concerned.
5. Order: This form is generally used for conveying –
(i) financial sanctions: and
(ii) final orders in disciplinary cases. Order is not addressed to
anyone. Copies are endorsed to all the persons/authority concerned.
6. Notification: This form
is used in notifying promulgation of statutory rules and orders,
appointments and promotions of certain categories of officers etc. through
publications in the Gazette of India. The composition of the gazette, the types
of matter to be published in each part and section thereof, the
instructions for sending the matter for publication therein may be seen
at Appendix – 8.2.
7. Resolution: This form of communication is used for
making public announcement of decisions of government in important
matters of policy, e.g., the policy of industrial licensing, appointment
of committees or commissions of enquiry. Resolutions are published in the
Gazette of India.
8. Press Communiqué/ Press
Note: This form is used when it is proposed to give wide publicity to
a decision of government through media. A press communiqué is issued
where matter is to be published as per the text given by the issuing
authority, while a press note, on the other hand, is intended to serve as a
hand-out to the press which may be edited, compressed or enlarged by the
respective press or media channel.
9. Endorsement: This form
is used when a paper has to be returned in original to the sender, or the
paper in original or its copy is sent to another department or office,
for information or action. It is also used when a copy of a communication
is proposed to be forwarded to parties other than the one to which it is
addressed. Normally, this form will not be used in communicating copies
to state governments, statutory/constitutional bodies. The appropriate
form for such communication is letter.
10. Minutes: A record of
discussions is prepared immediately after the meeting and circulated to
the other Ministries/Departments concerned, giving date/time/venue of the
meeting held, who chaired the meeting and list of participants, setting
out the conclusions reached and indicating the Ministry(s)/Department(s)
responsible for taking further action on each conclusion. In case it is
perceived by a participant of the meeting, that the minutes recorded are
not as per the understanding/perception of the participant, the same may
be immediately referred in writing to the authority which has issued the
minutes.