Monday 20 March 2023

कार्यालयीन पत्र-व्यवहार के प्रकार | Forms of Correspondance

 कार्यालयीन लिखित पत्र-व्यवहार के प्रकार :

किसी विभाग द्वारा भारत सरकार और संगठनों जो उन संगठनों से भिन्न हैं जो भारत सरकार का हिस्सा नहीं हैं, के बीच पत्राचार और कुछ विशेष प्रयोजनों से पत्राचार के लिए सामान्य तौर पर लिखित सम्प्रेषण के विभिन्न प्रकार प्रयुक्त किए जाते हैं, जो नीचे वर्णित हैं। इन प्रकारों के आरूप परिशिष्ट 8.1 में दिए गए हैं :

1. पत्र : पत्र का यह प्रकार राज्य सरकारों, संघ लोक सेवा आयोग तथा अन्य संवैधानिक निकायों,संबद्ध व अधीनस्थ कार्यालयों के प्रमुखों, लोक उद्यमों, सांविधिक प्राधिकरणों, सार्वजनिक निकायों तथा आम जनता के साथ पत्राचार के लिए प्रयुक्त किया जाता है ।

सम्प्रेषण का औपचारिक प्रकार होने के नाते एक पत्र विभाग अथवा सरकार की ओर से सरकार/संगठन के प्रमुख को पदनाम से संबोधित किया जाता है, पत्र का आरंभ अभिवादन "महोदय/महोदया", तथा समापन "भवदीय" से किया जाता है ।

2. र्ध-सरकारी पत्र :

पत्र के इस प्रकार का प्रयोग आमतौर पर किसी सरकारी अधिकारी द्वारा अन्य अधिकारी को किसी महत्वपूर्ण सरकारी मामले और/या तात्कालिकता में उनका व्यक्तिगत ध्यान दिलाने के प्रयोजन से किया जाता है |

क. चूंकि, अर्ध सरकारी पत्र उत्तम पुरुष में निजी और मैत्रीभाव से लिखा जाता है, इसलिए इसे यथासंभव एक अधिकारी द्वारा समान स्तर/रैंक के अधिकारी को लिखा जाना चाहिए। प्राप्तकर्ता पक्ष की ओर समान स्तर के अधिकारी के अनुपलब्धता की स्थिति में इसे उस अधिकारी के एक या दो स्तर नीचे के अधिकारी को, जिसे संबोधित किया गया है, को लिखा जा सकता है | ख. अर्ध-सरकारी पत्र संवैधानिक प्राधिकारणों के प्रमुखों को छोड़कर अन्य सार्वजनिक कार्यालयों के अधिकारियों को लिखा जा सकता है । ऐसे मामलों में ऐसे प्राधिकारणों के सचिव को पत्र भेजे जा सकते हैं | एक मंत्री अध-सरकारी पत्र केन्द्र व राज्य सरकार के अन्य मंत्री अथवा संसद सदस्य या राज्य विधानसभा को भेज सकता है ।

ग. गैर-सरकारी पत्र अर्ध-सरकारी पत्र के रूप में भी भेजे जा सकते हैं।

3. कार्यालय ज्ञापन : इस पत्राचार के प्रकार का प्रयोग आमतौर पर अपने संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों सहित अन्य विभागों को निर्णयों के बारे में सूचित करने के लिए जाता है । इसका प्रयोग सूचना मांगने अथवा सूचना देने के लिए किया जाता है । कार्यालय ज्ञापन प्रकार का प्रयोग मंत्रालयों और विभागों द्वारा अपने कर्मचारियों के साथ संप्रेषण के लिए किया जाता है। यह अन्य पुरुष में लिखा जाता है तथा इसमें कोई संबोधन अथवा अधोलिखित नहीं होता। तथापि,इसमें हस्ताक्षरकर्ता अधिकारी के नाम, पदनाम, ई-मेल आईडी, टेलीफोन नम्बर और फैक्स नम्बर का उल्लेख किया जाएगा । इस पत्राचार के प्रकार का उपयोग मंत्रालय के भीतर अनुभागों के मध्य सूचना मांगने और सूचना प्रदान करने के लिए भी किया जाना है ।

4. कार्यालय आदेश : इसका प्रयोग नेमी आंतरिक प्रशासनिक मामलों जैसे कि नियमित छुट्टी प्रदान करने, अधिकारियों और अनुभागों के मध्य कार्य वितरण, आंतरिक तैनाती और स्थानातंरण आदि अनुदेश जारी करने/सूचना देने के लिए किया जाता है । इसीलिए इसमें कोई संबोधन अथवा अधोलिखित नहीं होता है । सभी संबंधित व्यक्तियों/प्राधिकारी को प्रतियां पृष्ठांकित की जाती हैं ।

5. आदेश : इसका प्रयोग सामान्यत: निम्नलिखित सूचित करने के लिए किया जाता है -

(i) वित्तीय मंजूरियां; और

(ii) अनुशासनिक मामलों में अंतिम आदेश | आदेश किसी को संबोधित नहीं किया जाता

है । सभी व्यक्तियों/संबंधित प्राधिकारी को प्रतियां पृष्ठांकित किए जाते हैं ।

6. अधिसूचना - अधिसूचना का प्रयोग अधिकांशत: सांविधिक नियमों और आदेशों की घोषणा

करने, कतिपय श्रेणियों के अधिकारियों की नियुक्तियों और पदोन्नतियों को भारत के राजपत्र में प्रकाशित करके अधिसूचित करने के लिए किया जाता है। राजपत्र की संरचना, उसके प्रत्येक भाग और खण्ड में प्रकाशित की जाने वाली सामग्री की किस्में, राजपत्र में प्रकाशन के लिए सामग्री भेजने से संबंधित अनुदेश परिशिष्ट 8.2 में दिए गए हैं ।

7. संकल्प - पत्राचार के प्रकार का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में लाइसेंस नीति, जांच समितियों

अथवा आयोग की स्थापना जैसे नीति के महत्वपूर्ण मामलों पर सरकार के निर्णय की सार्वजनिक घोषणा करने के लिए संकल्पों का प्रयोग किया जाता है | संकल्प भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाते हैं ।

8. प्रेस विज्ञप्ति/प्रेस नोट : इसका प्रयोग तब किया जाता है जब सरकार के निर्णय का मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करने का प्रस्ताव हो । प्रेस विज्ञप्ति तब जारी की जाती है जब सामग्री को जारीकर्ता प्राधिकारी द्वारा दिए गए पाठ के अनुसार प्रकाशित किया जाना होता है जबकि दूसरी ओर प्रेस नोट समाचार-पत्रों में छपने की सामग्री के रूप होता है जिसे संबंधित समाचार-पत्र या मीडिया चैनल द्वारा संपादित, संक्षिप्त या विस्तारित किया जा सकता है ।

9. पृष्ठांकन - इसका प्रयोग तब किया जाता है जब कोई कागज अपने मूल रूप में भेजने वाले को लौटाना हो अथवा मूल कागज अथवा उसकी प्रति, सूचनार्थ अथवा कार्रवाई के लिए अन्य विभाग अथवा कार्यालय को भेजनी होती है । इसका प्रयोग उस स्थिति में भी किया जाता है जबकि पत्रादि पाने वाले के अलावा उसकी प्रति अन्य पार्टियों को भेजी जानी होती है। राज्य सरकारों, सांविधिक/ संवैधानिक निकायों को प्रतियां भेजते समय इस प्रकार के पृष्ठांकन का प्रयोग सामान्यत: नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए पत्र लिखना ही उचित होगा ।

10. कार्यवृत्त : बैठक के पश्चात तत्काल ही विचार-विमर्श का रिकार्ड तैयार किया जाता है और संबंधित अन्य मंत्रालयों/ विभागों को परिचालित किया जाता है जिसमें आयोजित बैठक की तारीख/ समय/ स्थान, बैठक के अध्यक्ष तथा प्रतिभागियों की सूची, प्राप्त निष्कर्षों का वर्णन तथा प्रत्येक निष्कर्ष पर आगे कार्रवाई करने के लिए उत्तरदायी मंत्रालयों/विभागों का उल्लेख किया जाता है। किसी प्रतिभागी को यह महसूस होता है कि रिकार्डबद्ध कार्यवृत्त प्रतिभागी की समझ/ अनुभूति के अनुसार नहीं है तो ऐसी स्थिति में इसे कार्यवृत्त जारीकर्ता प्राधिकारी को तत्काल लिखित में व्यक्त किया जा सकता है ।

Forms of official written communications

For correspondence between Government of India and organizations other than those which are not part of the Government of India and for communication for certain specific purposes, different forms of written communication generally used by a  Department are described below. Formats of these forms are given in Appendix – 8.1. 

1. Letter: This form is used for corresponding with State Governments, the Union  Public Service Commission and other constitutional bodies, heads of attached and  subordinate offices, public enterprises, statutory authorities, public bodies and  members of public.  

A letter being a formal form of communication is addressed on behalf of a Department or Government to the Head of the Government/ organisation by designation,  beginning with the salutation “Sir / Madam”; and ending with subscription “Yours  faithfully.” 

 

2. Demi-official letter: This form is generally used in correspondence by one  Government officer with another with the purpose of drawing his/her personal  attention in an official matter of importance and/or urgency.  

a. Since demi-official letter is written in the first person in a personal and friendly  tone, it should be addressed by an officer to another of similar level /rank as far as  possible. In the event of non-availability of officer of same level at receiving end, the  same may be addressed to an officer at one or two levels below the officer to whom  such communication is addressed.  

b. Demi-official letter may be used for communicating with officers in other public  offices except chief of the Constitutional authorities. In such cases, communications  are addressed to the Secretary of such authorities. A Minister may communicate  with another Minister at Centre or State Government or a Member of Parliament or  State Legislature using D.O. letter. 

c. Communications to non-officials may also take the form of a demi-official letter. 

3. Office Memorandum: This form is generally used for communicating decisions  to other departments including its attached and subordinate offices. It is used for  calling for or providing information. Office Memorandum form is also used by  Ministries and Departments for communicating to its employees. It is written in the third person and bears no salutation or subscription. The name, designation, e-mail  ID, telephone number and fax number of the officer signing it will, however, be  indicated. This form is also to be used for seeking and providing information amongst  sections within Ministry. 

4. Office Order: It is used for issuing instructions/ intimation in routine internal  administrative matters, e.g., grant of regular leave, distribution of work among officers  and sections, internal posting and transfers, etc. Therefore, there is, no salutation or  subscription. Copies are endorsed to all the persons/authority concerned. 

5. Order: This form is generally used for conveying – 

(i) financial sanctions: and  

(ii) final orders in disciplinary cases. Order is not addressed to anyone.  Copies are endorsed to all the persons/authority concerned. 

6. Notification: This form is used in notifying promulgation of statutory rules and  orders, appointments and promotions of certain categories of officers etc. through  publications in the Gazette of India. The composition of the gazette, the types of  matter to be published in each part and section thereof, the instructions for sending  the matter for publication therein may be seen at Appendix – 8.2. 

7. Resolution: This form of communication is used for making public  announcement of decisions of government in important matters of policy, e.g., the  policy of industrial licensing, appointment of committees or commissions of enquiry.  Resolutions are published in the Gazette of India. 

8. Press Communiqué/ Press Note: This form is used when it is proposed to  give wide publicity to a decision of government through media. A press communiqué  is issued where matter is to be published as per the text given by the issuing  authority, while a press note, on the other hand, is intended to serve as a hand-out  to the press which may be edited, compressed or enlarged by the respective press  or media channel.  

9. Endorsement: This form is used when a paper has to be returned in original  to the sender, or the paper in original or its copy is sent to another department or  office, for information or action. It is also used when a copy of a communication is  proposed to be forwarded to parties other than the one to which it is addressed.  Normally, this form will not be used in communicating copies to state governments,  statutory/constitutional bodies. The appropriate form for such communication is letter. 

10. Minutes: A record of discussions is prepared immediately after the meeting  and circulated to the other Ministries/Departments concerned, giving  date/time/venue of the meeting held, who chaired the meeting and list of participants, setting out the conclusions reached and indicating the Ministry(s)/Department(s)  responsible for taking further action on each conclusion. In case it is perceived by a  participant of the meeting, that the minutes recorded are not as per the  understanding/perception of the participant, the same may be immediately referred  in writing to the authority which has issued the minutes.